Bihar News: बिहार के नवादा जिले में 34 घरों को आग लगाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. इस घटना की निंदा सभी राजनीतिक दल कर रहे हैं. लेकिन अब सवाल उठता है कि इसमें अब तक प्रशासन ने क्या क्या कार्रवाई की है?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को नवादा जिले में 34 घरों को आग के हवाले करने की घटना की निंदा की, जिनमें से अधिकतर एससी और एसटी समुदायों के थे. उन्होंने एडीजी (कानून और व्यवस्था) को घटनास्थल पर जाकर जांच की निगरानी करने को कहा.
पुलिस ने अब तक मुख्य आरोपी नंदू पासवान सहित 15 लोगों को गिरफ्तार किया है. यह घटना कल मुफस्सिल थाना क्षेत्र के मांझी टोला में आगजनी करने वालों द्वारा 31 घरों को आग के हवाले करने के बाद हुई.
पुलिस ने उनके कब्जे से तीन देसी पिस्तौल, कई जिंदा और इस्तेमाल किए गए कारतूस और छह मोटरसाइकिलें भी जब्त कीं.
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "मुख्यमंत्री ने घटना की निंदा की और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) को मौके पर जांच की निगरानी करने का निर्देश दिया."
कुमार ने सभी संदिग्धों को जल्द से जल्द पकड़ने की आवश्यकता पर भी जोर दिया.
अधिकारी ने कहा, "मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि जो लोग कानून को अपने हाथ में लेते हैं, उन्हें पकड़ा जाना चाहिए और दंडित किया जाना चाहिए. उन्होंने राज्य भर के सभी जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कानून का शासन कायम रहे."
कुमार ने सभी डीएम और एसपी को जेलों में अवैध गतिविधियों की जांच के लिए तलाशी लेने का निर्देश दिया. जांच से पता चला है कि बुधवार शाम को हुई हिंसा की वजह शायद जमीन विवाद हो सकता है.
नवादा के जिला मजिस्ट्रेट आशुतोष कुमार वर्मा ने पीटीआई को बताया, "जिला पुलिस ने घरों में आग लगाने के आरोप में मुख्य आरोपी समेत 15 लोगों को गिरफ्तार किया है. एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है और बाकी संदिग्धों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान जारी है."
उन्होंने बताया कि घटना के सिलसिले में 15 गिरफ्तार आरोपियों समेत 28 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. वर्मा ने बताया कि करीब 34 घरों में आग लगा दी गई. जांच में पता चला कि 21 घर पूरी तरह से नष्ट हो गए और 13 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए. उन्होंने बताया कि जांच से पता चलता है कि घटना के पीछे 29 साल पुराना जमीन विवाद है और ज्यादातर घर एससी और एसटी समुदाय के लोगों के थे. डीएम ने बताया कि शस्त्र अधिनियम और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया है. उन्होंने बताया कि यह भी संदेह है कि आरोपियों ने घरों में आग लगाने से पहले हवा में गोलियां चलाई थीं.
डीएम ने कहा, "हम विस्थापितों को भोजन के पैकेट और पीने के पानी सहित राहत सामग्री मुहैया करा रहे हैं. पीड़ितों के लिए अस्थायी टेंट लगाए गए हैं. जिला प्रशासन ने उन परिवारों को एक-एक लाख रुपए की सहायता राशि देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है, जिनके घर जल गए हैं. जिन परिवारों के घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें भी प्रशासन की ओर से सहायता राशि दी जाएगी."
घटना के बाद नवादा के पुलिस अधीक्षक अभिनव धीमान ने कहा था, "शाम करीब 7.15 बजे मांझी टोला में आग लगने की सूचना मिली थी. पुलिस दमकल की गाड़ियों के साथ तुरंत पहुंची और आग बुझाई."
इस बीच, इस घटना ने एनडीए सरकार के सत्तारूढ़ गठबंधन सहयोगियों और विपक्ष के बीच राजनीतिक वाकयुद्ध को जन्म दे दिया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "नवादा की घटना बिहार में बहुजनों के खिलाफ अन्याय की भयावह तस्वीर को उजागर करती है. यह घटना राज्य सरकार को जगाने में भी सफल नहीं हुई है, जो सो रही है." उन्होंने कहा, "ऐसे अराजकतावादी तत्व भाजपा और उसके एनडीए सहयोगियों के नेतृत्व में पनाह पाते हैं - वे भारत के बहुजनों को डराते-धमकाते हैं और दबाते हैं ताकि वे अपने सामाजिक और संवैधानिक अधिकारों की मांग भी न कर सकें. और, प्रधानमंत्री की चुप्पी इस बड़ी साजिश पर मुहर लगाती है."
राजद नेता तेजस्वी यादव ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, बिहार में आपकी डबल इंजन सरकार के तहत दलितों के घर जलाए गए हैं. प्रधानमंत्री को इस 'मंगलराज' पर कुछ शब्द जरूर बोलने चाहिए क्योंकि जो कुछ भी हो रहा है वह सब सर्वशक्तिमान ईश्वर की इच्छा के कारण है और एनडीए नेताओं का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है." यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री को यह भी बताना चाहिए कि एनडीए के तीसरे सबसे बड़े घटक दल जेडी(यू) के प्रमुख नीतीश कुमार ने ऐसी घटनाओं पर कुछ भी बोलना क्यों बंद कर दिया है.
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा, "मैंने घटना के संबंध में नवादा के डीएम और एसपी से बात की है. यह बेहद निंदनीय घटना है. घटना में शामिल अधिकांश अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और जो फरार हैं, उन्हें जल्द ही सलाखों के पीछे डाल दिया जाएगा."
एनडीए के सहयोगी दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के संस्थापक ने कहा कि वह 22 सितंबर को घटनास्थल का दौरा करेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी नेता इस घटना को लेकर नाटक कर रहे हैं,. उन्होंने आरोप लगाया, "विपक्षी नेता पहले दलितों पर अत्याचार करवाते हैं और फिर सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हैं. नवादा की घटना में गिरफ्तार किए गए करीब 90 फीसदी लोग एक खास जाति के हैं और आरजेडी समर्थक हैं."
भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा, "घटना बेहद निंदनीय है... इस तरह की मानसिकता को कभी पनपने नहीं दिया जाएगा. जो लोग महादलितों के खिलाफ इस तरह की हरकत करते हैं और जंगल राज लाना चाहते हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा." केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "नवादा में हुई घटना बेहद शर्मनाक और निंदनीय है. एनडीए सरकार का प्रमुख सहयोगी होने के नाते मैं सीएम नीतीश कुमार जी से मांग करता हूं कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा दी जाए और पीड़ितों को आर्थिक मदद के लिए हर संभव प्रावधान किया जाए." उन्होंने कहा, "मैं इस मामले की न्यायिक जांच की भी मांग करता हूं ताकि भविष्य में कोई ऐसी घटना करने की हिम्मत न कर सके."
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