अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि कला संस्कृति विभाग का काम ही कला और संस्कृति को प्रोत्सााहित और संरक्षित करना है। विभाग आगे भी ऐसा करता रहेगा। उन्होंने ऐसे समृद्ध कार्यक्रम के लिए आयोजकों का धन्यवाद भी दिया।
मौके पर सामयिक परिवेश की संस्थापिका ममता मेहरोत्रा ने कहा कि हम लगातार काम कर रहें हैं। इस आयोजन के बहाने सभी विद्धा के कलाकारों और साहत्यकारों को पटना के मंच पर एकत्रित करने का काम लगातार 9 वर्षों से करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि हमारी संस्था कलाकार और साहित्यकारों को मंच देने के लिए संकल्पित है।
पहले दिन प्रेमचंद रंगशाला में देश के नामचीन कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया। कविता पाठ करने वाले कवियों में प्रेमकिरण, भगवती प्रसाद द्विवेदी, संजय कुंदन, नसीम अख्तर, समीर परिमल, डा. प्रतिभा रानी, मीना परिहार, राजकांता, सविता राज आदि प्रमुख थे। इसके पहले लिटेरा पब्लिक स्कूल के बच्चों द्वारा संगीत एवं नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति हुई। इसक साथ ही ममता महरोत्रा की नई पुस्तक मंदिर यात्रा का लोकार्पण भी हुआ।
पहले दिन कार्यक्रम का समापन ममता मेहरोत्रा की कहानी पर आधारित नाटक बुनकर की बेटी के मंचन के साथ हुआ। नाट्य संस्था कला जागरण द्वारा प्रस्तुत इस नाटक का निर्देशन सुमन कुमार ने किया था।
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