नालंदा | 25वें कारगिल विजय दिवस के अवसर पर बिहार शरीफ के कारगिल चौक कारगिल शहीद स्मारक 38 बिहार बटालियन एनसीसी बिहार शरीफ के द्वारा शहीदों के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अध्यक्षता 38 बिहार बटालियन एनसीसी के कमांडिंग अफसर कर्नल राजेश बाहरी ने की। इस अवसर पर शहीद स्मारक पर पुष्प भुज अर्पित कर कर सहित वीर सपूतों को श्रद्धांजलि देकर नाम आंखों से याद किया तथा उनकी याद में कारगिल पार्क परिसर में पौधारोपण किया। 38 बिहार एनसीसी बटालियन में पदस्थापित वीर जवानों के प्रति आभार प्रकट कर कहां की देश की सरहदों पर वीर जवान सीमा में मुस्तैदी के साथ अपने कर्तव्यों का निष्ठा पूर्वक निर्वहन कर सरहदों की रक्षा करते हैं तब पूरा देश चैन की नींद सोता है।
कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों ने अपने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए पाकिस्तान के हजारों सैनिकों को मार गिराया आज भारतीय सेना और उनके जांबाज़ जवानों को बहादुरी को सलाम करनें का दिन है। कारगिल विजय दिवस के अवसर पर पूरा देश कारगिल युद्ध के नायकों की बहादुरी और वीरता को श्रद्धांजलि दे रहा है। अपने कर्तव्यों के निर्वहन के क्रम में अपने परिवारजनों से हर त्योहार में दूर रहकर भी खुशी खुशी कर्तव्य का निर्वहन करते हैं।
आइए आज के दिन हम अपने सैनिकों के बलिदान को कभी नहीं भूलने का प्रतिज्ञा करें आज हम शहीदों के परिवारों की सहायता के लिए हमेशा प्रयासरत रहने का संकल्प लें मैं मुल्क की हिफाजत करूंगा यह मुल्क मेरी जान है इसकी रक्षा के लिए मेरा दिल और जान कुर्बान है। आपसी प्रेम मिलत सद्भाव भाईचारे शांति और सौहार्द का माहौल को अपने समाज में कायम रखना ही शहीद वीर जवानों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
एनसीसी के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल राजेश बाहरी ने कहा कि आज के दिन ही करगिल युद्ध में शहीद भारतीय सैनिकों के बलिदान और शौर्य को याद किया जाता है यह युद्ध जम्मू कश्मीर के करगिल जिले में मई और जुलाई 1999 के बीच हुआ था इस युद्ध में भारतीय सेना के जवानों ने अदम्य साहस दिखाया और दुश्मनों की छुट्टी कर दी। 26 जुलाई 1999 यह वही तारीख है जब भारतीय सेना ने जम्मू कश्मीर के करगिल में पाकिस्तानी सेना को हराया था लेकिन इस युद्ध में भारत ने अपने 527 जवानों को खो दिया था जबकि, 1363 जवान घायल हुए थे भारतीय जवानों ने इस युद्ध में अपने खून का आखिरी कतरा देश की रक्षा के लिए न्यौछावर कर दिया था। इन जांबाजों के शौर्य की कहानियां आज भी हमें गर्व महसूस करवाती हैं।
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